थारो नख।

कई साल पहले री बात है, जद गांव रे माईं इण परिवार री तूती बोलती हती। किणरी हिम्मत की इये घर रे सामे देख सके पर समय रे साथे-साथे परिस्थितियाँ परिवर्तित होती गयी और इण परिवार रा सदस्य अपणी खुद री वजह मों मोळा पड़ता ग्या ओर गांववालों री नजर मों उओं रो रुतबो कम होतो ग्यो।
अपने राजस्थानी मों केवे हैनी कि 'समय रो गेंड़ों, भले-भले नो, का तो राजा और का तो रंक बना देवे है' ओ बात ईण परिवार रे माथे लागु हो री है।
आज रो समय संगठनात्मक तरीक़े मों काम करण ओर साथे चालणें रो नी रयो है।
"हाडा हर जगह, काला ही काला है।" ए बातां आज रे समय रे मोई प्रत्येक आदमी रे माथे सटीक बैठती हैं।

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