माता-पिता भगवान का रूप है।

हमारी पौराणिमान्यताओं के अनुसार माता-पिता को भगवान का दूसरा रूप माना गया है क्योंकि वो ही हमारे जन्मदाता और पालनहार है उनके बिना हमारा अस्तित्व भी नहीं है।
आज आधुनिकता की दौड़ हम अपने माता-पिता को बोझ समझने लगे है क्योंकि हम पाच्छात्य संस्कृति पर ज्यादा हविश्वास करने लगे है हम पर इस संस्कृति का भू सवार हो गया है, वह हमें सही सोचने नहीं देता है।
आज जब माता-पिता बेचारेहाड़-तोड़ मेहनत करके इस आश के साथ अपनी औलाद को पढ़ाते-लिखाते है कि वे कुछ बनकर हमारे बुढ़ापे में सहारा बनेंगे, पर जब औलाद पढ़-लिखकर बड़ा अधिकारी या बड़ी कंपनी को ज्वाइन करती है, तो माँ-बाप के चेहरे खिलखिला उठते है कि अब तो आधी जिन्दगी आराम से जियेंगे, पर उनके सपनों पर पानी उस दिन फिर जाता है जब या तो बेटा उनकों कहता है कि पापा में अब यहां आपके साथ नहीं रह सकता आपके लीये एक नोकर रख लेते है जो आपका ओर मम्मी का ख्याल रखेगा, मै ओर आपकी बहूँ अब विदेश जा रहे है हमेंवहाँ पर जाकेफलाणी कंपनी ज्वाइन करनी है या फिर नौकरी करने गया बेटा 2-3 साल माता-पिता से कोई संम्पर्क नहीं करता है ओर जब घर आता है तब पुरे परिवार के साथ( माँ-बाप से बिना पूछे शादी करके ) आता है।
आज सबसे बड़ी शर्मनाक बात यह है कि बेटा खुद तो पाँच सितारों वाले बंगले में रहता है ओर वह अपने माता-पिता को सहारा देने के बजाएँ व्रद्धावस्था घर में छोड़ देता है, जिसके कारण बुजुर्ग बेचारे मांग कर खाने को मजबूर है, वो इधर-उधर दिन भर भटकते रहते है।
मित्रों! माता-पिता ही अच्छली भगवान है यदि हम उनकी देखभाल सही ढंग से करेंगे तो मेरा मानना है कि हमारें परिवार में किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं खलेगी।

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