Skip to main content

Posts

Featured

पालीवालों का निष्क्रमण

सांस्कृतिक - झरोखा                         पालीवालों का  निष्क्रमण                     ( ‘रावळ म्होंने अेकर जैसाणों बता ||’ ) इतिहासकार जेम्स कर्नल टॉड के अनुसार गढ़ नानणा के  ‘नानणा ब्राह्मण’ प्रसिद्ध व्यावसायी थे| संभवत: यह नानणा शब्द ही नन्दवाना के मूल में है | मध्यकाल की अराजकतावादी परिस्थितियों, धर्मान्धता, आतंक, लूट और अत्याचारों से तंग आकर गढ़ नानणा छोड़कर मारवाड़ के पाली शहर में आकर बस गए | ये व्यापार और कृषि कार्यों में निष्णात थे | लगभग संख्या बल में ये लाखों में थे, पर शांतिप्रिय और व्यावसायिक गतिविधियों में होने के कारण अरावली क्षेत्र आदिवासी प्राय: इनको लूट लेते थे | पाली में बसने के कारण ये ‘पालीवाल’ कहलाए | प्राचीन काल से ही पाली समुद्र-तट के बंदरगाहों और उत्तर भारत के नगरों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक स्थल था | बंदरगाहों से आने वाला माल चाहे वह अरब-अफ्रीका का हो, चाहे फारस-यूरोप का हो पाली होकर उत्तर भारत जाता था | इसी तरह भारत और तिब्बत का मा...

Latest posts

चारण सपूतों की प्रशंसा में रचित कतिपय सुभराज के दोहे।

कांगा

दोहे

चारण खेड़ा - भंवर दान जी झणकली

थारो नख।

वैश्विक परिदृश्य

सांप्रदायिकता बनाम राजनीति

मिडिया का दोहरा चेहरा

देश की गरिमा

माता-पिता भगवान का रूप है।